रॉयल हमाम जो 350 सालों से चालू है पब्लिक के लिए, होती है प्री-बुकिंग

 इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और ट्रेडीशन को एक जगह पर देखना हो, तो रॉयल हमाम में देखा जा सकता है। करीब 350 साल पुराना भोपाल का रॉयल हमाम देश का एकमात्र हमाम है, जो हिस्टोरिकल वैल्यू भी रखता है और आज भी पुराने तरीके से उसी परिवार द्वारा चलाया जा रहा है, जिसने इस हमाम में रॉयल फैमिली मेंबर्स को सर्विस देना शुरू किया था। इस हमाम की कहानी सुना रही हैं रिसर्चर डॉ. सोनल यादव-



  • यह हमाम पुराने किले का हिस्सा कहा जा सकता है, जिसे बड़े तालाब को फेस करके बनाया गया। 1720 के आसपास बनी यह इमारत गोंड कालीन लगती है।

  • यहां आप पानी से नहीं बल्कि भाप से नहाते हैं। यही वजह है कि यह केवल ठंड में चलता है। दीवाली पर यह हमाम हर साल शुरू किया जाता है और होली तक चलता है। 

  • बेगम के समय से यह हमाम सिर्फ शाही परिवार के सदस्य इस्तेमाल करते थे, लेकिन रॉयल फैमिली के मेंम्बर्स के पाकिस्तान जाने के बाद यह हमाम इसे चलाने वाले परिवार को ही सौंप दिया गया। यही परिवार आज भी इसे उसी पुराने तरीके से चला रहा है। 

  •  पर्शियन बेदिंग स्टाइल से रूबरू कराता यह रॉयल हमाम अपनेआप में खास है, क्योंकि यह निरंतर चल रहा है। देशभर के महलों में ऐसे हमाम देखने को मिलते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी वर्किंग नहीं है।


तीन कमरे, जिनकी खासियत ये...


हमाम में तीन कमरे हैं, जिसमें दो कमरे बॉडी टेम्प्रेचर को आहिस्ते-आहिस्ते बढ़ाते हैं, ताकि आप स्टीम रूम में पहुंचने से बीमार ना हो जाएं। पहला कमरा साधारण है, जिसमें सिर्फ बॉडी टेम्प्रेचर सामान्य किया जाता है। दूसरा कमरा चेंजिंग रूम है, लेकिन इस कमरे में कोई वेंटिलेशन नहीं है, सिर्फ गुंबददार कमरे में छत पर एक छोटा सा सुराख है, जहां से रोशनी अंदर आती है। इस कमरे की दीवार के भीतर टेराकोटा पाइप लगे हैं, जो कमरे के भीतर व्यक्ति को सांस लेने में मदद करें और सफोकेशन होने से बचाते हैं। तीसरा कमरा स्टीम रूम है, जिसमें एक चौकोर टंकी है, जिसकी तली पर तांबे का बर्तन लगा है। कमरे के ठीक नीचे भट्‌ठी है, जो दीवाली से होली तक लगातार जलाई जाती है। इसी भट्‌ठी से भाप बनती है।